अरुण कुमार चौधरी
रांची : धीरे-धीरे झारखंड चुनाव दंगलों का शोर अपने चरम सीमा पर आने के लिए बेकरार है। इस समय एनडीए और महागठबंधन के कार्यकर्ता झारखंड में आमने-सामने है और दोनों ओर से अपने-अपने तर्कशों से तीर निकालने के लिए व्याकुल है। इनमें से ज्यादे स्थानों में महागठबंधन इतना मजबूत दिखाई दे रहा है कि उसके आसपास एनडीए उम्मीदवार दिखाई नहीं दे रही है। कुछ सीटों पर तो अभी से ही लोग महागठबंधन के कई उम्मीदवार को विजय घोषित कर रहे हैं। इसमें चाईबासा से गीता कोड़ा, लोहरदगा से सुखदेव भगत और गोड्डा से प्रदीप यादव को विजय उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं।
ऐसे भी राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि जब-जब विपक्ष एक साथ चुनाव लड़ा है तब-तब सत्ता पक्ष पूरी तरह साफ हो गया है और इस समय तो कोई भी लहर नहीं दिख रहा है केवल शहरों में मोदी के नाम पर अच्छी बढ़त दिख रही है परंतु गांवों में भाजपा तथा आरएसएस के खिलाफ आदिवासी, पिछड़ी, ईसाई समुदाय, मुस्लिम समाज एवं जनजाति के लोग भाजपा को हराने के लिए एकजुट हो गये हैं।
इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि झारखंड में भाजपा के मुख्यमंत्री रघुवर दास के कारण गांवों के लोगों में व्यापक नाराजगी है लोग भाजपा और आरएसएस के नाम पर चिढ़ रहे हैं। इस संबंध में हमने एक राष्ट्रीय आरएसएस प्रचारक से बात किया तो उन्होंने कहा कि रघुवर के कारण हमारा आदिवासी वर्ग विमुख हो गया है और उन्होंने आगे कहा कि जब मैं झारखंड के गावों में जाता था तो मुझे यहां के स्थानिय आदिवासी लोग सम्मान के साथ व्यवहार करते थे परंतु अब तो आरएसएस और भाजपा का नाम सुनकर हमलोगों से दूर भाग जाते हैं और उन्होंने आगे कहा कि रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाकर हमारे संगठन ने भारी भूल किया है जिसका जोखिम हमें उठाना ही पड़ेगा। आरएसएस के लोगों ने कहा कि इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि झारख्ांड में जितने भी उपचुनाव हुये हैं उसमें भाजपा एक भी सीट जीत नहीं पाया है।
अब अगली ऐसे झारखंड में चौथे चरणों में लोहरदगा, चतरा और पलामू में चुनाव होने वाला है और चतरा सीट पर महागठबंधन का गठबंधन नहीं हुआ है क्योंकि वहां पर बालू माफिया तथा लालू के वित्त पोषक श्री सुभाष यादव को उम्मीदवार बनाया है और राजद का कहना है कि चतरा में हमारी पकड़ बहुत ही मजबूत है और जिसके कारण हम किसी के समर्थन बिना भी जीत अराम से मिल जायेगा। दूसरी ओर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री मनोज यादव भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी तथा वर्तमान सांसद सुनील सिंह की स्थिति बद से बदतर है। क्योंकि सुनील सिंह वोट मांगने के बदले अपनी गलती के लिए छमा मांग रहे हैं और अब यहां पर त्रिगुणात्मक संघर्ष हो गया है।
इस संसदीय क्षेत्र में चतरा, लोहरदगा और पलामू जिले के विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है। 1952 में देश के लिए हुए पहले लोकसभा निर्वाचन में यह सीट अस्तित्व में नहीं थी। 1957 में यहां सांसद चुनने के लिए पहली बार मतदान हुआ। यह क्षेत्र वनीय संपदा से भरा हुआ है। यहां औषधीय पौधों, केंडू के पत्तों, बांस, साल, सागौन, और जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। जिले में जंगली जीवों के संरक्षण के लिए लावालोंग वाइल्ड लाइफ अभयारण्य भी बनाया गया है। जो यहां कि बाघों की मेजबानी करता है। चतरा में कुल महिला 616,060 और पुरुष 696,501 वोटरों की संख्या है।
वहीं पलामू में भाजपा के वीडी राम और महागठबंधन के घुरन राम के बीच सीधी लड़ाई है और लोगों का कहना है कि दानों के व्यवहार-विचार में जमीन आसमान का फर्क है। घुरन राम मिलनसार एवं विनम्र स्वभाव के हैं। इनकी लोकप्रियता जनता के बीच काफी अच्छी है। दूसरी ओर भाजपा उम्मीदवार वीडी राम का स्वभाव पुलिसिया आचरण काफी मिलता-जुलता है। जिसके कारण उनका व्यवहार जनता के प्रति बहुत ही रुखरार है और क्षेत्र के लोग अब उन्हे ंहटाने के लिए कटीबद्ध हो गये हैं। इनके चुनवी सभा में स्रोता बनाम जनता सैकड़ों में भी नहीं रहते हैं जिसके कारण भाजपा के आलाकमान बहुत ही चिंतित नजर आ रहे हैं। अभी ऐसे तो भाजपा ने नरेंद्र मोदी के बड़े-बड़े पोस्टर लगाकर जनता को अपनी ओर भाजपा आक र्षित करने में लगे हुये हैं परंतु गांवों के लोग भाजपा से विमुख होते नजर आ रहे हैं।
दो जिलों के कुछ हिस्सों को मिलाकर इस संसदीय क्षेत्र का गठन किया गया है। इस जिले का मुख्यालय मेदनीनगर है। इसे डाल्टनगंज के नाम से भी जाना जाता है। सत्रहवीं सदी में चेरो राजा का यहां पर शासन था। यहां पर चेरो राजा अनंत राय ने लंबे समय तक राज किया। पलामू के किलों में से पुराने किले का निर्माण इसी राजा ने करवाया था। जंगलों-पहाड़ों से घिरा पलामू क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक-पौराणिक स्थलों से परिपूर्ण है। यहीं पर पौराणिक भीम चूल्हा स्थित है। पांडव अज्ञातवास के दौरान यहां रुके थे। तब भीम यहीं पर भोजन बनाया करते थे। पलामू में कुल 1,645,957 वोटरों की संख्या है।
लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में कई बार स्व. कार्तिक उरांव तथा उनकी पत्नी स्व. सुमती उरांव प्रतिनिधित्व किये हैं और यहां पर अभी भी लोग कार्तिक उरांव को अपना जननेता मानते हैं क्योंकि कार्तिक उरांव एक उच्च स्तरीय शिक्षा से प्राप्त आदिवासी नेता थे तथा उनकी ईमानदारी और वाक्-पटूता जगजाहिर है और अभी भी इस क्षेत्र चुनाव के समय दोनों दल के लोग कार्तिक बाबू का नाम ले रहे हैं। इसी संबंध में हाइप्रोफाइल लोहरदगा संसदीय सीट से भाजपा और कांग्रेस दोनों की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। यहां भाजपा ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत पर भरोसा जताते हुए उन्हें हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने उनका विजयी रथ रोकने के लिए अपने चेहरे को बदला है। पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव की जगह इस बार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत को मौका दिया गया है।
लोहरदगा में भाजपा और कांग्रेस अस्सी के दशक से ही परंपरागत प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। मुकाबला भी कांटे का ही रहा है। पिछले चुनाव में सुदर्शन भगत को महज साढ़े छह हजार वोटों से ही जीत हासिल हुई थी। उससे पूर्व का चुनाव भी वे दस हजार से कम वोटों से जीते थे। लोहरदगा में भाजपा की जड़ें गहरी हैं लेकिन कांग्रेस ने विपरीत परिस्थिति में भी यहां अपनी राजनीतिक जमीन नहीं खोई है। यहां कांग्रेस की ताकत उसकी कमजोरी भी है। वर्चस्व की लड़ाई में कांग्रेसी अपनों को भी झटका देने से गुरेज नहीं करते। आदिवासी बहुल इस सीट पर आदिवासी वोटर अहम भूमिका अदा करते हैं। लेकिन इनके वोट पर कोई एक दल कभी भी दावा नहीं कर सकता। जनजातीय मतदाता राष्ट्रीय पार्टियों के साथ तो दिखते ही हैं लेकिन स्थानीय उम्मीदवारों को भी निराश नहीं करते। 2009 के चुनाव में चमरा लिंडा का निर्दलीय रहते हुए दूसरे स्थान तक पहुंचना और 2014 के चुनाव में झारखंड में किसी भी तरह का जनाधार न रखने वाली तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर तीसरे स्थान पर टिकना कुछ यही दर्शाता है।
जिला मुख्यालय होने के कारण यहां पर सभी प्रमुख प्रशासनिक कार्यालय हैं। जैन पुराणों के अनुसार भगवान महावीर ने लोहरदगा की यात्रा की थी। सम्राट अकबर पर लिखी पुस्तक आयने अकबरी में भी इस क्षेत्र का उल्लेख किया गया है। कोयल, शंख, नंदिनी, चौपाट, फुलझर नदियों से घिरा यह क्षेत्र झारखंड के दक्षिण पश्चिम में है। इस इलाके में छोटे-छोटे पहाड़ , जंगल और झरने हैं जिनकी वजह से यहां खूबसूरत नजारे दिखाई देते हैं। यहां का लावापानी जलप्रपात पर्यटकों को खूब लुभाता है। यहां पर बड़ी मात्रा में एलम्यूनियम पाया जाता है। पलामू में कुल 1,119,144 वोटरों की संख्या है।